हे मजबुरी, तुझे मैं सलाम करता हू
तेरे सामने मेरी ख़ुशी कलम करता हू
जख्म देती हैं तू हर पल इतने गहरे
बहता रहता हैं खून,ना मैं मलम करता हू
कितनी सिद्दत से निभाऊ फर्जं मैं अपने
आँखोंसे गिरते है आंसू सहन करता हू
एक अर्से के बाद तुझे बदलना जरुर होगा
यही सोचकर हर दुःख को मैं नमन करता हू
ना मैं खुश हू ना नाराज हूं मैं तुझसे
तेरे हर एक फैसले का स्वागत करता हू
किसी दिन हो ना जाए तेरे भी आँखे नम
इसलिए मेरे अश्क पलको में छुपाया करता हू
-राजेश खाकरे
मो.7875438494
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